लेखनी कविता -उस प्रभात, तू बात न माने -माखन लाल चतुर्वेदी

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उस प्रभात, तू बात न माने -माखन लाल चतुर्वेदी  उस प्रभात, तू बात न माने, तोड़ कुन्द कलियाँ ले आई, फिर उनकी पंखड़ियाँ तोड़ीं  पर न वहाँ तेरी छवि पाई, कलियों ...

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